जिम जाना और व्यायाम भी कर लेना। लेकिन इसके बाद भी मनमाफिक नतीजे न मिलना। आखिर क्या वजह हो सकती है इसके पीछे। आखिर क्यों आपको अपेक्षित नतीजे नहीं मिल रहे। आहार तो मायने रखता ही है, लेकिन इसके अलावा कुछ ऐसे कारण हैं, जिन पर शायद आपकी नजर नहीं गयी हो। जानते हैं कुछ ऐसे ही रोचक कारणों के बारे में जो ये बतायेंगे कि जिम जाने के बाद भी क्यों न तो आपका वजन कम हो रहा है और क्यों न ही आपको किसी अन्य प्रकार का लाभ मिल रहा है।
आप वाकई मेहनत नहीं कर रहे
जिम तो काफी लोग जाते हैं, लेकिन उनमें से कितने वहां जाकर वाकई मेहनत करते हैं और कितने लोग बातों और अन्य बातों में अपना समय लगाते हैं। अकसर ऐसा देखा गया है कि लोग जिम में जाकर व्यायाम से ज्यादा समय सामाजिक होने में बिता देते हैं। वे दूसरों से बात करते हैं, टीवी देखते हैं, मोबाइल पर मैसेज भेजते हैं और इन सबसे अगर थोड़ा बहुत वक्त बच जाए, तो व्यायाम भी कर लेते हैं। उन्हें व्यायाम के दौरान बामुश्किल पसीना आता है। अगर आप भी इनमें शुमार हैं, तो आप अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं। बेशक आप यह कहें कि जिम आये आपको एक घंटा बीत गया, लेकिन वास्तव में आपने अपना एक घंटा बर्बाद किया है। और इसके बाद आप कहते हैं कि मैं तो कई महीनों से जिम जा रहा हूं, लेकिन मुझे कोई खास फायदा नहीं हुआ। तो इसमें गलती किसकी है, जिम की या फिर आपकी।
मेहनत का गलत आंकलन
शोध में यह साबित हुआ है कि अकसर लोग अपने व्यायाम को ज्यादा करके आंकते हैं। बेशक, यह मानवीय स्वभाव है कि उसे अपनी मेहनत हमेशा ज्यादा लगती है, लेकिन बार-बार ऐसा करके आप अपनी कोई मदद नहीं कर रही। मान लीजिये कि आपने बैंच प्रेस के दौरान वजन तो महज 200 पाउंड उठाया, लेकिन अपने दोस्त को 400 पाउंड बताया। तो बताइये कि आप किस प्रकार अपनी मदद कर रहे हैं।
वास्तविकता यह है कि वास्तव में आप उतनी मेहनत नहीं कर रहे, जितनी आप सोच रहे हैं। हालांकि, यह बात आपको जरा कड़वी लग सकती है, लेकिन यह सच है। तो हकीकत को स्वीकार कीजिए और अपनी मेहनत का सही आंकलन कीजिये। उसके बाद ही आपको जिम का सही लाभ हो रहा है।
वास्तविकता यह है कि वास्तव में आप उतनी मेहनत नहीं कर रहे, जितनी आप सोच रहे हैं। हालांकि, यह बात आपको जरा कड़वी लग सकती है, लेकिन यह सच है। तो हकीकत को स्वीकार कीजिए और अपनी मेहनत का सही आंकलन कीजिये। उसके बाद ही आपको जिम का सही लाभ हो रहा है।
योजना क्या है
जिम जाने से पहले अपने आप से यह सवाल पूछिये कि आखिर आप ट्रेनिंग क्यों लेना चाहते हैं।
जिम जाते समय आपके पास एक कार्ययोजना होनी जरूरी है। आपके पास जिम जाकर व्यायाम करने का एक मकसद होना चाहिए। अब यूं ही मुंह उठाकर जिम नहीं जा सकते। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको सफलता मिलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। आपको जिम जाकर बहुत अधिक प्रयोगात्मक होने की जरूरत नहीं है। आपको चाहिए कि पुराने और बोरिंग समझे जाने वाले स्वाक्टस, डेडलिफ्ट अैर बेंच प्रेस आदि जैसे व्यायामों को अधिक तरजीह दें। इन्हें करते समय जुनून और निरंतरता बनाये रखें।
जिम जाते समय आपके पास एक कार्ययोजना होनी जरूरी है। आपके पास जिम जाकर व्यायाम करने का एक मकसद होना चाहिए। अब यूं ही मुंह उठाकर जिम नहीं जा सकते। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको सफलता मिलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। आपको जिम जाकर बहुत अधिक प्रयोगात्मक होने की जरूरत नहीं है। आपको चाहिए कि पुराने और बोरिंग समझे जाने वाले स्वाक्टस, डेडलिफ्ट अैर बेंच प्रेस आदि जैसे व्यायामों को अधिक तरजीह दें। इन्हें करते समय जुनून और निरंतरता बनाये रखें।
योजना बनाने के लाभ
एक बार जब आप योजना बना लें, तो उसके बाद नंबर आता है नतीजों पर नजर रखने का। यदि आपको किसी खास व्यायाम से फायदा हो रहा है, तो उसे अधिक करें। यदि नियमित व्यायाम के बाद आपका वजन एक पाउंड भी कम होता है या फिर आप पहले से अधिक व्यायाम करते हैं, तो यह इस बात का संकेत है कि आप तरक्की कर रहे हैं आपमें सुधार हो रहा है। हो सकता है कि कुछ सप्ताह बाद आपको अपनी प्रगति और नतीजों से हैरानी हो। तो, चाहे आपका लक्ष्य कुछ भी हो, मजबूत बनना अथवा पतला होना, बस एक योजना का पालन कीजिए, बोरिंग व्यायाम कीजिए और अपने नतीजों पर नजर रखिये, आपको जरूर लाभ होगा।
बदलेंगे नहीं तो बदलाव कैसे आएगा
यदि आप लगातार एक ही प्रकार का व्यायाम, एक समान वजन उठाकर करते रहेंगे, तो आपको लंबे समय तक कोई फायदा मिलने वाला नहीं है। ऐसे में आपके शरीर में किसी प्रकार का बदलाव होने वाला नहीं है। न तो आपका वजन कम होगा और न ही आपकी मांसपेशियां ही बनेंगी, न तो आप मजबूत होंगे और न ही आपका वजन ही कम होगा।
बदलाव के अर्थ को समझें
अब इसका अर्थ यह नहीं कि आप हर सप्ताह अपना एक्सरसाइज प्रोग्राम बदल लें। आपको 'बोरिंग व्यायाम' कहे जाने वाले व्यायामों पर महारथ हासिल कर लेनी चाहिए उसके बाद ही डेडलिफ्ट जैसे मुश्किल व्यायामों पर हाथ आजमायें। डेडलिफ्ट जैसा व्यायम आपको अपने शरीर के वजन का 2.5 गुना वजन उठाकर करना चाहिए, और कम से कम दस कठिन चिनअप्स करने चाहिए। इसके साथ ही आपको दस बार स्वाटिंग करनी चाहिए।
दरअसल, मानव स्वभाव है कि वह जिसमें सहज हो जाता है उसे छोड़ना ही नहीं चाहता। हमारा शरीर खास प्रकार के व्यायाम का आदी होने में कड़ी मेहनत करता है, लेकिन जब हम उन मांसपेशियों पर जोर डालते हैं, जिन पर पहले कभी जोर नहीं डाला गया, तो हमारे शरीर के लिए यह बिलकुल नया होता है। और उसे इसमें मुश्किल नजर आती है। परंतु वास्तव में इससे शरीर की नयी मांसपेशियों का निर्माण होता है। कुछ समय बाद शरीर इस व्यायाम का भी आदी हो जाता है। कहने का अर्थ है कि आदत जैसी डालो वैसी पड़ जाती है।
दरअसल, मानव स्वभाव है कि वह जिसमें सहज हो जाता है उसे छोड़ना ही नहीं चाहता। हमारा शरीर खास प्रकार के व्यायाम का आदी होने में कड़ी मेहनत करता है, लेकिन जब हम उन मांसपेशियों पर जोर डालते हैं, जिन पर पहले कभी जोर नहीं डाला गया, तो हमारे शरीर के लिए यह बिलकुल नया होता है। और उसे इसमें मुश्किल नजर आती है। परंतु वास्तव में इससे शरीर की नयी मांसपेशियों का निर्माण होता है। कुछ समय बाद शरीर इस व्यायाम का भी आदी हो जाता है। कहने का अर्थ है कि आदत जैसी डालो वैसी पड़ जाती है।
अगर आपको व्यायाम से चिढ़ है और आप अकसर व्यायाम नहीं करते, तो इसका अर्थ यह है कि वास्तव में आपके शरीर को इसकी आवश्यकता है। व्यायाम शुरू कीजिए। यह वक्त है कि थोड़ी मुश्किलें झेली जाएं। यह वक्त है कि व्यायाम के नतीजे देखे जाएं, ताकि आप भविष्य में होने वाली किसी स्वास्थ्य समस्या से बचे रह सकें।
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