Wednesday, March 9, 2016

भूल के भी न जाना शाम को इस मन्दिर में, यहाँ पत्थर के बन जाते हैं लोग

राजस्थान की रेतीली धरती में कई राज दफन हैं। यह राज ऐसे हैं जिन्हें जानकर बड़े-बड़े सूरमाओं के पसीने छूट जाते हैं। कुलधारा गांव और भानगढ़ का किला ऐसे ही रहस्यमय स्थानों में से एक है जो भूतहा स्थान के रुप में पूरी दुनिया में जाने जाते है।

कुलधारा और भानगढ़ से अलग एक और रहस्यमय स्थान है जो बारमेर जिले में स्थित है। यह स्थान है किराडू का मंदिर।

पूरे राजस्थान में खजुराहो मंदिर के नाम से प्रसिद्घ यह मंदिर प्रेमियों को विशेष आकर्षित करता हैं। लेकिन यहां की ऐसी खौफनाक सच्चाई है जिसे जानने के बाद कोई भी यहां शाम के बाद ठहरने की हिम्मत नहीं कर सकता।

किराडू के मंदिर विषय में ऐसी मान्यता है कि यहां शाम ढ़लने के बाद जो भी रह जाता है वह या तो पत्थर का बन जाता है या मौत की नींद सो जाता है। किराडू के विषय में यह मान्यता वर्षों से चली आ रही है। पत्थर बन जाने के डर से यहां शाम ढ़लते ही पूरा इलाका विरान हो जाता है।

इस मान्यता के पीछे एक अजब दास्तान है जिसकी गवाह एक औरत की पत्थर की मूर्ति है, जो किराडू से कुछ दूर सिहणी गांव में स्थित है।

वर्षों पहले किराडू में एक तपस्वी पधारे। इनके साथ शिष्यों की एक टोली थी। तपस्वी एक दिन शिष्यों को गांव में छोड़कर देशाटन के लिए चले गए। इस बीच शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया।

गांव वालों ने इनकी कोई मदद नहीं की। तपस्वी जब वापस किराडू लौटे और अपने शिष्यों की दुर्दशा देखी तो गांव वालों को शाप दे दिया कि जहां के लोगों के हृदय पाषाण के हैं वह इंसान बने रहने योग्य नहीं हैं इसलिए सब पत्थर के हो जाएं।

एक कुम्हारन थी जिन्होंने शिष्यों की सहायता की थी। तपस्वी ने उस पर दया करते हुए कहा कि तुम गांव से चली जाओ वरना तुम भी पत्थर की बन जाओगी। लेकिन याद रखना जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना।

कुम्हारन गांव से चली गई लेकिन उसके मन में यह संदेह होने लगा कि तपस्वी की बात सच भी है या नहीं वह पीछे मुड़कर देखने लगी और वह भी पत्थर की बन गयी। सिहणी गावं में कुम्हार की पत्थर की मूर्ति आज भी उस घटना की याद दिलाती है। 

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