आजादी के बाद पीएम मोदी मंगोलिया जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जब मंगोलिया की आर्थिक
सहायता की थी तो देश के अंदर चीन समर्थक वामपंथी नेताओं-पत्रकारों ने उनकी आलोचना की थी! आज चीन को घेरने के लिए
भारत-मंगोलिया ने सम्मिलित सैन्य अभ्यास किया है तो इस देश के वामपंथी फिर से बेचैन हैं! मंगोलिया भारत को यूरेनियम
आपूर्ति करने वाला देश है! सुरक्षा के लिहाज से चीन पर नियंत्रण रखने के लिए मंगोलिया भारत का बहुत बड़ा रणनीतिक
साझीदार बनकर उभरा है!
सहायता की थी तो देश के अंदर चीन समर्थक वामपंथी नेताओं-पत्रकारों ने उनकी आलोचना की थी! आज चीन को घेरने के लिए
भारत-मंगोलिया ने सम्मिलित सैन्य अभ्यास किया है तो इस देश के वामपंथी फिर से बेचैन हैं! मंगोलिया भारत को यूरेनियम
आपूर्ति करने वाला देश है! सुरक्षा के लिहाज से चीन पर नियंत्रण रखने के लिए मंगोलिया भारत का बहुत बड़ा रणनीतिक
साझीदार बनकर उभरा है!
मुझे याद है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 मई 2015 में मंगोलिया गए थे और उन्हें आर्थिक मदद की थी तो कांग्रेस और आम
आदमी पार्टी के नेता सहित कई जातिवादी क्षेत्रीय नेता भी यह कह रहे थे कि मोदी जी, देश पर ध्यान दीजिए, इतनी बड़ी रकम
गरीबी, भूखमरी, फलाना, ढींमका आदि पर खर्च कीजिए, आप मंगोलिया से चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं!
आदमी पार्टी के नेता सहित कई जातिवादी क्षेत्रीय नेता भी यह कह रहे थे कि मोदी जी, देश पर ध्यान दीजिए, इतनी बड़ी रकम
गरीबी, भूखमरी, फलाना, ढींमका आदि पर खर्च कीजिए, आप मंगोलिया से चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं!
यह ऐसे लोगों की सोच है, जो खुद तो फाइव स्टार जीवन जीते हैं और गरीबी-भूखमरी का नाम ले-ले कर राजनीति करते हैं!
ये वो लोग भी हैं, जिन्हें विदेश नीति की समझ नहीं है और इसमें बड़ी बड़ी संख्या उन लोगों की भी थी तो वामपंथी सोच के
कारण चीन से सहानुभूति रखते हैं और चाहते हैं कि चीन भारत पर हमला करे। 1962 में यह बिरादरी हमलावर चीन का
स्वागत बाहें फैला कर रही थी!
ये वो लोग भी हैं, जिन्हें विदेश नीति की समझ नहीं है और इसमें बड़ी बड़ी संख्या उन लोगों की भी थी तो वामपंथी सोच के
कारण चीन से सहानुभूति रखते हैं और चाहते हैं कि चीन भारत पर हमला करे। 1962 में यह बिरादरी हमलावर चीन का
स्वागत बाहें फैला कर रही थी!
प्रधानमंत्री मोदी के उस मंगालिया यात्रा का परिणाम इतनी जल्दी निकल आया है। मंगोलिया के जरिए चीन को घेरने की
रणनीति पर काम शुरू हो चुका है। भारत व मंगोलिया की थल सेना ने मंगोलिया की राजधानी उलनबटोर के पास 14 दिनों
तक सैन्य अभ्यास किया।
रणनीति पर काम शुरू हो चुका है। भारत व मंगोलिया की थल सेना ने मंगोलिया की राजधानी उलनबटोर के पास 14 दिनों
तक सैन्य अभ्यास किया।
इस अभ्यास की सबसे बड़ी बात यह रही कि भारतीय सैनिक आसाम के गुवाहाटी से केवल आठ घंटे में मंगोलिया पहुंच गए।
इसके लिए वायुसेना के विमान सी-130 का उपयोग किया गया। इतनी दूरी तक बिना रुके, इतनी जल्दी पहुंचने वाला विमान
खुद चीन के पास भी नहीं है! इसके जरिए भारत सरकार ने साफ संकेत दे दिया है कि मंगोलिया के साथ मिलकर चीन के खिलाफ
भारत त्वरित सामरिक कार्रवाई करने में समक्ष है! प्रधानमंत्री जब पिछले साल मंगोलिया गए थे तो साफ कहा था कि मंगोलिया
भारत का रणनीतिक साझेदार है! अब यह साझा अभ्यास उधर ड्रैगन को और इधर भारत में ड्रैगन समर्थकों को बेचैन कर सकता है!
इसके लिए वायुसेना के विमान सी-130 का उपयोग किया गया। इतनी दूरी तक बिना रुके, इतनी जल्दी पहुंचने वाला विमान
खुद चीन के पास भी नहीं है! इसके जरिए भारत सरकार ने साफ संकेत दे दिया है कि मंगोलिया के साथ मिलकर चीन के खिलाफ
भारत त्वरित सामरिक कार्रवाई करने में समक्ष है! प्रधानमंत्री जब पिछले साल मंगोलिया गए थे तो साफ कहा था कि मंगोलिया
भारत का रणनीतिक साझेदार है! अब यह साझा अभ्यास उधर ड्रैगन को और इधर भारत में ड्रैगन समर्थकों को बेचैन कर सकता है!
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