Monday, January 4, 2016

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एक ऐसा रहस्यमयी शहर जहाँ जाने वाले पर्यटक कभी लौट कर नहीं आते

आज पर्यटन को व्यवसाय बना कर स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. सैलानियों को ये देशी-विदेशी पर्यटन स्थल खूब पसंद आते हैं. लेकिन रूस में एक पर्यटन स्थल ऐसा भी है जहाँ सैलानी नहीं जाना चाहते. इसका कारण यह बताया जाता है कि वहाँ जाने वाले सैलानी आज तक वापस लौट कर नहीं आए हैं. जानिए क्यों इतना बदनाम है यह शहर.....


यह शहर ‘सिटी ऑफ द डेड’ के नाम से मशहूर है और रूस के उत्तरी ओसेटिया में पहाड़ों के बीच स्थित हैं. इस शहर का नाम दर्गाव्स है. ऊँची-उँची पहाड़ियों के बीच स्थित इस शहर में सफेद पत्थरों से बनी अनेक इमारतें है जिसका आकार तहखाना जैसा है. इनमें से कई तो चार मंजिल से भी ऊँची हैं. इन इमारतों की हर मंजिल में लोगों के शव दफनाए हुए हैं. जो इमारत जितनी ऊँची हैं उनमें उतने अधिक शव हैं. इस तरह हर मकान एक कब्र बन चुकी है जिसमें लोगों के शव दफन हैं. यहाँ मौजूद सारे कब्र करीब 16वीं शताब्दी के हैं. आस-पास के लोगों की नजर में यह 16वीं शताब्दी का विशाल कब्रिस्तान है. यहाँ बनी हुई हर इमारत एक परिवार-विशेष से संबंधित है जिसमें केवल उसी परिवार के सदस्यों को दफनाया गया है. स्थानीय लोग इस जगह के बारे में तरह-तरह के दावे करते हैं. इसको लेकर कई लोगों की यह मान्यता है कि पहाड़ियों पर मौजूद इन इमारतों में जाने वाला कभी लौटकर नहीं आता. इन्हीं मान्यताओं के कारण कोई भी पर्यटक वहाँ जाना नहीं चाहता.



हालांकि इसकी बसाहट भी कुछ ऐसी है कि  इस तक पहुंचने का रास्ता ही दुर्गम जान पड़ता है. ऊँची पहाड़ियों के बीच संकरे रास्तों से होकर यहां तक पहुंचने में तीन घंटे का समय लगता है. इसके अलावा यहाँ पहुँचने में मौसमी बाधायें भी हैं. पुरातत्वविदों के लिए भी यह रूचि का विषय रही है और उन्होंने इस जगह को लेकर कुछ खोजें भी की है. उन्हें कब्रों के पास नावें मिली है. उनका कहना है कि यहां शवों को लकड़ी के ढाँचे में दफनाया गया था जिसका आकार नाव जैसा है. हालांकि ये अभी भी आम लोगों के लिए रहस्य ही बना हुआ है कि आस-पास नदी ना होने के बावजूद यहां तक नाव कैसे पहुंची!




नाव के पीछे यह धारणा है कि आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी होती है. इसलिए उसे नाव पर रखकर दफनाया जाता है. पुरातत्वविदों को यहाँ हर तहखाने के सामने कुआं भी मिला. इस कुएं को लेकर ये कहा जाता है कि अपने परिजनों का शव दफनाने के बाद लोग कुएँ में सिक्का फेंकते थे. अगर सिक्का तल में मौजूद पत्थरों से टकराता तो इसका मतलब ये समझा जाता था कि आत्मा स्वर्ग तक पहुंच गई है

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