Saturday, May 21, 2016

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1964 में ही परमाणु हथियार विकसित करने की स्थिति में था भारत

अमेरिकी विदेश विभाग की एक खुफिया रिपोर्ट की मानें तो भारत 1964 में ही परमाणु सक्षम बन सकता था, अगर वह ऐसा करना चाहता तो। अमेरिका में गोपनीयता की सूची से हटाई गई विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, अमेरिका के गुप्तचर विभाग ने यह निष्कर्ष निकाला था कि, भारत 1964 में ही परमाणु हथियार विकसित करने की स्थिति में आ गया था। इस क्रम में उसने महाराष्ट्र में ट्रॉम्बे स्थित संयंत्र में ईंधन में तेजी से किए जाने वाले बदलाव का हवाला दिया।



अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस ऐंड रिसर्च ने 14 मई 1964 की एक रिपोर्ट में कहा, भारतीय अब इस स्थिति में हैं की वे चाहें तो परमाणु हथियारों का विकास शुरू कर सकते हैं। हालांकि हमारे पास शोध और विकास कार्यक्रम का कोई साक्ष्य नहीं है और यदि कार्यक्रम का अस्तित्व है तो हम कुछ साक्ष्य मिलने की उम्मीद करेंगे।
कई अन्य रिपोर्टों के साथ यह रिपोर्ट बुधवार को नैशनल सिक्यॉरिटी आर्काइव और न्यूक्लियर प्रोलिफरेशन इंटरनैशनल हिस्ट्री प्रॉजेक्ट की ओर से प्रकाशित की गई। अमेरिकी गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट ने ट्रॉम्बे स्थित कनाडाई-भारतीय संयंत्र के मूल ईंधन में हर छह महीने में बदलाव किए जाने पर भारत के परमाणु उद्देश्यों पर कई प्रश्न उठाए थे।
रिपोर्ट के अनुसार सामान्य अनुसंधान संयंत्र अभियानों के लिए छह महीने का समय काफी कम रहता है। लेकिन यह कनाडाई-भारतीय संयंत्र में खर्च हुए ईंधन का इस्तेमाल करके हथियारों में प्रयोग होने वाले प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिहाज से एकदम उपयुक्त समय है।
जब कनाडाई लोगों ने भारत को संयंत्र उपलब्ध करवाया, तब उन्होंने विशेष सुरक्षा उपाय नहीं किए थे। इस तरह भारतीयों को नवनिर्मित फीनिक्स प्लूटोनियम पृथक्करण संयंत्र का इस्तेमाल विखंडनीय पदार्थ बनाने के लिए करने की आजादी मिल गई।
रिपोर्ट के अनुसार, फीनिक्स संयंत्र लगाने के पीछे भारत के नेतृत्व के राष्ट्रवादी उद्देश्य रहे होंगे लेकिन यदि वह परमाणु हथियारों की क्षमता चाहे तो वह ऐसी क्षमता हासिल करने की कोशिश कर सकता था।
वहीँ INR की रिपोर्ट में कहा गया कि, भारत के हथियार कार्यक्रम से जुड़ा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है और उसका मानना है की यह असंभव लगता है कि भारत ने एक बम बनाने का फैसला किया था।
हालाँकि, इसके दस वर्ष 18 मई 1974 को भारत ने पोखरण में पहले और सफल परमाणु परीक्षण का प्रयोग कर विश्व को हैरान कर दिया था। इसके बाद इस कार्यक्रम को 11 और 13 मई 1998 में पोखरण दूसरी बार सफलता पूर्वक किया गया।
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