Monday, June 1, 2015

Published 7:49 AM by with 0 comment

dur Rahana


































वक़्त नूर को बहनूर कर देता है
थोड़े से जखम को नासूर कर देता है
वरना कोन चाहता है तुम जेसे दोस्तो से दूर रहना
वक़्त ही तो इंसान को मजबूर कर देता
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