नोट एक हाथ से दूसरे, दूसरे से तीसरे और फिर इसी तरह अन्य हाथों में जाती रहती है. हाथ से हाथों के इस सफ़र में नोटों पर कई लोग अपना नाम, फोन नंबर इत्यादि लिख देते हैं. लगातार हाथ बदलते ये नोट मुड़ी-तुड़ी और पुरानी दिखने लगती है. अत्यधिक मुड़ने के कारण कई बार ये नोट फट जाती है. कई लोग फटे-पुराने चिपका कर चला लेते हैं. हालांकि, भारत का शीर्षस्थ रिज़र्व बैंक “नोट रिफंड रूल” के तहत फटे-पुराने नोटों को बदलने की सुविधा देती है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि बैंकर्स बैंक इन नोटों का क्या करता है?
नोट बदलने के लिये केंद्र रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ऐसे नोटों को बदलने के लिये महत्तवपूर्ण स्थानों पर कुछ केंद्र बनाती है जिसे सामान्य रूप से “करेंसी चैस्ट ब्रांच” कहा जाता है. ऐसे केंद्र सभी बैंकों की शाखाओं में भी होते हैं. इन केंद्रों पर फटे, मटमैले, विकृत नोटों की अच्छे नोटों से अदला-बदली की जा सकती है. ये केंद्र विशेष प्रक्रियाओं के तहत उन नोटों को भी स्वीकार करते हैं जो अत्यधिक जली होने के कारण सामान्य प्रयोग में नहीं लायी जा सकती है.
फटे-पुराने नोटों का विनिमय मूल्य इन क्षतिग्रस्त नोटों के बदले लोगों को किया जाने वाल भुगतान सिक्कों और दस रूपये के नोटों के जरिये होता है. हालांकि, बदलने के लिये लाये गये वैसे सभी नोट जिससे की गयी छेड़छाड़ सोची-समझी प्रतीत होती है उसकी अदला-बदली से साफ इंकार किये जाने का प्रावधान है. जमा कर रखने पर कई कमरों में स्थान घेरने, लाखों भूखों की भूख मिटाने में सक्षम इन नोटों को प्रत्येक वर्ष रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया जला देती थी. आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2010-11 में 1,385 करोड़ नोट जिनका मूल्य 1,78,830 करोड़ रूपए आँकी गयी को नष्ट कर दिया गया. पहले देश की मौद्रिक नीति बनाने वाली यह बैंक इन क्षतिग्रस्त नोटों को जला देती थी. हालांकि, इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए अब इन फटे-पुराने संग्रहित नोटों का उपयोग कलम रखने के स्टैंड, पेपर वेट आदि बनाने में किया जाता है.
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